Saturday, August 22, 2009

विकलांग नही विशेष नागरिक कहिए . . .

हमारे देश में शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोर लोगों के प्रति समाज का नजरिया ज्यादा सकारात्मक नही रहा है। इन व्यक्तिओं की कमियों के कारण इन्हे हर स्तर पर उपेछित किया जाता है।

भारतीय संविधान में विकलांगजनों को समान अवसर और भागीदारी दिलाने की बात कही गई है। समय समय पर विभिन्न योजनाओं और कानूनों के माध्यम से उन्हें समाज के मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया गया है और आज भी जारी है।

तमाम कोशिशों के बाद भी विकलांगों के प्रति आम समाज का नजरिया नही बदल पाया है। उन्हें कई तरह के अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया जाता है।

आज से लगभग ३ साल पहले भोपाल के एक अखबार से मुझे विकलांगों के लिए एक साप्ताहिक कालम लिखने का अवसर प्राप्त हुआ था। उस समय काफी सोच विचार के बाद उस कालम का नाम 'स्पेशल सिटीजन' रखा। शायद भारत और विश्व में पहली बार स्पेशल सिटीजन शब्द का उपयोग मैंने ही किया।

सरकारी और मीडिया के स्तर पर विकलांगों के लिए हिन्दी में 'विशेष नागरिक' और अंग्रेजी में 'Special Citizen' शब्द का इस्तेमाल किया जाए तो यह सम्मानजनक होगा।

- अमितसिंह कुशवाह
०९३००९३९७५८
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Friday, July 17, 2009

विकलांगों को सहानुभूति नही, समानुभूति की दरकार है

प्रकृति ने जिनके शरीर में कोई कमी छोड़ दी उन्हें विकलांग कहकर उनके दुर्भाग्य के लिए प्रकृति के अन्याय को दोषी माना जाया है। लेकिन सच तो यह है की प्रकृति ने इनके साथ जितना बड़ा अन्याय किया उससे कहीं बड़ा अन्याय हमारा समाज करता है।

वे अपनी एक छमता खोकर भी शेष छमताओं से अपना भाग्य संवार सकते हैं लेकिन समाज उन्हें दया का पात्र बनाकर रखने पर मानो आमादा रहता है। उन्हें कमजोर और नकारा समझा जाता है।

परिवार और समाज का नजरिया विकलांगों के प्रति गैर जिम्मेदाराना होता है। उन्हें दरकिनार और शोषित किया जाता है।

सच तो यह है की विकलांग भी आम लोगों की तरह काम कर सकते हैं। सहायक उपकरणों और तकनीकी साधनों के बदौलत वे लगभग सभी प्रकार के कार्य कुशलता से कर सकते हैं।

विकलांग बच्चों को सीखने के लिए विशेष प्रकार के साधनों की जरुरत कुछ हद तक होती है। इनके लिए स्पेशल स्कूल होते हैं। जहाँ पर वे आसानी से सीख सकते हैं।

बस, जरुरत है समाज के सकारात्मक व्यवहार और सहयोग की। विकलांगों को सहानुभूति नही, समानुभूति की दरकार है। उन्हें उनके अधिकार चाहिए दया नही।

- अमितसिंह कुशवाह

( आप विकलांगता या विकलांगों के बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी चाहते हैं तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं।)

मोबाइल : 09300939758

Sunday, March 22, 2009

लोकसभा चुनाव : कहाँ है विकलांग

लोकसभा चुनाव में कई मुद्दों पर पर सत्ताधारी दल विकास की बात और विरोधी पार्टी सरकार की असफलता को जनता के सामने लाकर वोटर को अपनी ओर करने के लिए तत्पर हैं। इन सबके बीच समाज के एक वर्ग को हंसिये पर रखा जा रहा है।
विकलांगों को ना सिर्फ अपने परिवार बल्कि समाज और सरकार की घोर उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है। विकलांगो के कल्याण के लिए सरकार के पास कोई कारगर योजना नही है। चुनावों में कई मुद्दे उठाए जाते है लेकिन विकलांगों की कभी कोई बात नही करता। विकलांगों को कभी प्रत्यासी के रूप में चुनाव में नही उतारा जाता, आखिर क्यों ? शायद इसलिए की पार्टियों को विकलांगो में वोट बैंक नही दिखाई देता ? क्या कभी ऐसा भी होगा जब विकलांगों की सुध ली जयेगी ? उन्हें विकास के समान अधिकार कब मिलेंगे ये सारे सवाल ऐसे हैं जिनका जबाव किसी के पास नही है ?
- अमितसिंह कुशवाह
मो.: 093009-39758