हमारे देश में शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोर लोगों के प्रति समाज का नजरिया ज्यादा सकारात्मक नही रहा है। इन व्यक्तिओं की कमियों के कारण इन्हे हर स्तर पर उपेछित किया जाता है।
भारतीय संविधान में विकलांगजनों को समान अवसर और भागीदारी दिलाने की बात कही गई है। समय समय पर विभिन्न योजनाओं और कानूनों के माध्यम से उन्हें समाज के मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया गया है और आज भी जारी है।
तमाम कोशिशों के बाद भी विकलांगों के प्रति आम समाज का नजरिया नही बदल पाया है। उन्हें कई तरह के अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया जाता है।
आज से लगभग ३ साल पहले भोपाल के एक अखबार से मुझे विकलांगों के लिए एक साप्ताहिक कालम लिखने का अवसर प्राप्त हुआ था। उस समय काफी सोच विचार के बाद उस कालम का नाम 'स्पेशल सिटीजन' रखा। शायद भारत और विश्व में पहली बार स्पेशल सिटीजन शब्द का उपयोग मैंने ही किया।
सरकारी और मीडिया के स्तर पर विकलांगों के लिए हिन्दी में 'विशेष नागरिक' और अंग्रेजी में 'Special Citizen' शब्द का इस्तेमाल किया जाए तो यह सम्मानजनक होगा।
- अमितसिंह कुशवाह
०९३००९३९७५८
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Saturday, August 22, 2009
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